शुक्रवार, जून 21, 2013

[]गांधी जी के तीन बंदर[]

*आज पढ़ो मेरी एक बाल कविता *



गांधी जी के तीन बंदर ।
रहते थे वो उनके अंदर।

बुरा किसी को कहा नहीं ।
बुरा किसी का सुना नहीं ।
बुरा किसी का सहा नहीं ।
सदा वो रहते मस्तकलंदर।
गांधी जी के तीन बंदर ।।

बुरे न बोले बोले कभी ।
जो बोले सो तोल सभी।
दिल की बातें खोल सभी।
प्रेम भाव के भरे समंदर ।
गांधी जी के तीन बंदर ।।

बुरा न देखा कभी किसी का ।
बुरा न समझा कभी किसी का ।
बुरा न सोचा कभी किसी का ।
राम रहीमा के पैगम्बर ।
गांधी जी के तीन बंदर ।।

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