tag:blogger.com,1999:blog-6626498952070818516.post2568802944875789344..comments2024-01-03T11:38:24.610+05:30Comments on 'कागद’ हो तो हर कोई बांचे….: ओम पुरोहित 'कागद' की कविताएं…ओम पुरोहित'कागद'http://www.blogger.com/profile/13038563076040511110noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-6626498952070818516.post-68585771303781497722010-06-26T22:54:06.394+05:302010-06-26T22:54:06.394+05:30बहुत ही सुन्दर कविता पाठ है ओमजी।बहुत ही सुन्दर कविता पाठ है ओमजी।हर्षिताhttps://www.blogger.com/profile/04799029469213410208noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6626498952070818516.post-36620265121799403312010-06-26T14:06:56.501+05:302010-06-26T14:06:56.501+05:30बहुत सुन्दर लगा आपकी मधुर आवाज़ में उम्दा ...बहुत सुन्दर लगा आपकी मधुर आवाज़ में उम्दा कविता सुनकर!Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6626498952070818516.post-52231816673452984002010-06-24T14:31:22.999+05:302010-06-24T14:31:22.999+05:30shabdon o sur me baandhna... aap dono me daksh hai...shabdon o sur me baandhna... aap dono me daksh hainअरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6626498952070818516.post-23845728371058010492010-06-24T10:08:36.827+05:302010-06-24T10:08:36.827+05:30पूर्व में पढ़ी कविताओं को आपकी आवाज़ में सुनना एक ...पूर्व में पढ़ी कविताओं को आपकी आवाज़ में सुनना एक बेहतरीन अहसास रहा...<br /><br />क्या खूब कहा है...'दंभ था निरा '......' हमने गमलों में नहीं उगाये सपने ,रोप दिए थार में '....<br /><br />आप की कही दूसरी कविता मुझे सर्वाधिक पसंद आई॥<br /><br />मखमली आवाज़ में श्रेष्ठ कविताओं के लिये आभार...चैन सिंह शेखावतhttps://www.blogger.com/profile/18079689283863767097noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6626498952070818516.post-60710649451201204862010-06-23T13:52:36.005+05:302010-06-23T13:52:36.005+05:30बहुत ही सुंदर लगा आप का यह कविता पाठ,आप की मधुर आव...बहुत ही सुंदर लगा आप का यह कविता पाठ,आप की मधुर आवाज मै. धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6626498952070818516.post-13427774873111917832010-06-23T09:15:32.379+05:302010-06-23T09:15:32.379+05:30बढ़िया रचनाएं !
लेकिन एक प्लेयर में पांच - सात की ...बढ़िया रचनाएं !<br /><br />लेकिन एक प्लेयर में पांच - सात की बजाए हर कविता अलग प्लेयर में रखते तो सुविधा रहती । <br /><br />कुछ पोस्ट पहले ये कविताएं आपके यहां पढ़ी भी थी …<br />अब आपकी आवाज़ में सुनने के लिए भी मिल रही है … टुकड़ों टुकड़ों में माल निकाल रहे हैं … यह भी आप की ही कलाकारी है ।<br /><br />कितने रूप हैं आपकी कलाओं के !<br /><br />वाह ! बधाई !<br /><br />- राजेन्द्र स्वर्णकार <br /><b><a href="http://shabdswarrang.blogspot.com/" rel="nofollow">शस्वरं</a></b>Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttps://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6626498952070818516.post-34883259494666764982010-06-23T05:36:56.402+05:302010-06-23T05:36:56.402+05:30बहुत सुंदर कविता-पाठ के लिए मेरी बधाई स्वीकारें ।बहुत सुंदर कविता-पाठ के लिए मेरी बधाई स्वीकारें ।नीरज दइयाhttps://www.blogger.com/profile/17809153411753526520noreply@blogger.com