रविवार, जनवरी 03, 2010

आपणा इलाका : आपणा नांव

१८ आपणा इलाका : आपणा नांव
आपणी भाषा-आपणी बात
तारीख- १८/२/२००९
आपणा इलाका : आपणा नांव
-ओम पुरोहित 'कागद'
राजस्थान जूनो प्रदेश। जूनी मानतावां। जूनो इतिहास। जूनी भाषा। जूनी परापर। परापर एड़ी कै आज तक इकलग चालै। खावणै-पीवणै, उठणै-बैठणै अनै बोवार री आपरी रीत। रीत में ठरको। ठरकै में इतिहास री ओळ। ग्यान-विग्यान अर भूगोल री ओळ। बात-बोवार अर नांव में राजस्थानी री सौरम। इण सौरम रो जग हिमायती। आजादी सूं पैली राजस्थान में घणा ठिकाणा। घणा ई राज। राजपूतां रा राज। इणी पाण राजपूताना। राजा राज करता पण धरती प्रजा री। प्रजा राखती नांव धरती रा। नांवकरण में ध्यान धरती रै गुण रो। राजवंश, फसल, माटी, पाणी, फळ, पसु-पखेरू धरती रा धणी। आं री ओळ में थरपीजता इलाकै रा नांव।बीकानेर रा संस्थापक राव बीकाजी रै नांव माथै बीकाणो। बीकाणै में बीकानेर, गंगानगर, हनुमानगढ़, चूरू, भटिंडा, अबोहर, सिरसा अर हिसार। राव शेखाजी रै नांव माथै शेखावाटी। शेखावाटी में चूरू, सीकर अर झुंझुणू। मारवाड़ में जोधपुर, पाली जैसलमेर, बीकानेर, बाड़मेर। मेवाड़ में उदयपुर, चितोड़ , भीलवाड़ा अर अजमेर। बागड़ में बांसवाड़ा अर डूंगरपुर। ढूंढाड़ में जयपुर, दौसा, टोंक, कीं सवाईमाधोपुर। हाड़ौती में कोटा, बूंदी, बांरा, झालावाड़, कीं सवाईमाधोपुर। मेवात में अलवर, भरतपुर। जैसलमेर में माड़धरा, हनुमानगढ़ नै भटनेर, करोली-धोलपुर नै डांग, अलवर नै मतस्य, जयपुर नै आमेर, अजमेर नै अजयमेरू, उदयपुर नै झीलां री नगरी, जैसलमेर नै स्वर्णनगर, जोधपुर नै जोधाणो अर सूर्यनगरी, भीलवाड़ा नै भीलनगरी, बीकानेर नै जांगळ अर बागड़ भी कैईजै। राजस्थान रै हर खेतर रा न्यारा-निरवाळा नांव। कीं नांव बिणज-बोपार माथै। कीं नांव जमीन री खासियतां रै पाण। बीकाणै में भंडाण, थळी, मगरो अर नाळी जे़डा नांव सुणीजै। ऐ हाल तो बूढै-बडेरां री जुबान माथै है। बतळ में उथळीजै। पण धीरै-धीरै बिसरीज रैया है। आओ आपां जाणां आं नांवां री मैमा।
भंडाण भंडाण बीकानेर जिलै री लूणकरणसर, बीकानेर अर कीं कोलायत तहसील रै उण गांवां नै कैवै जकां रै छेकड़ में 'ऐरा' लागै। जियां- हंसेरा, धीरेरा, दुलमेरा, खींयेरा, वाडेरा।भंडाण रा मतीरा नांमी होवै। मीठा। अठै री आल जबर मीठी होवै। आल लाम्बै मतीरै नै कैवै। भंडाण री गायां-भैंस्यां, भेड-बकरयां अर ऊंट नांमी। भंडाण रो घी, मावो अर मोठ नांमी। मतीरो भंडाण रो सै सूं सिरै। अठै रै मतीरै सारू कैबा है-
खुपरी जाणै खोपरा, बीज जाणै हीरा।बीकाणा थारै देस में, बड़ी चीज मतीरा।।थळीथळी चूरू जिलै रै रतनगढ़ अर सुजानगढ़ रै खेतर नै थळी कैवै। इण खेतर रा लोग थळिया। थळी री बाजरी, मोठ, काकड़िया, मतीरा नांमी हुवै। थळी री बाजरी न्हानी अर मीठी होवै। थळी रा वासी मोटो अनाज खावै। काम में चीढा अनै जुझारू अर तगड़ा जिमारा होवै। थळी सारू कैबा है-
खाणै में दळिया, मिनखां में थळिया।
मगरोबीकानेर जिलै री कोलायत तहसील अर इणरै लागता जैसलमेर रा कीं गांवां नै मगरो कैवै। अठै री जमीन कांकरा रळी। मगर दाईं समतळ। पधर। इण कारण नांव धरीज्यो मगरो। मगरै रा ऊंट, गा-भेड अर बकरी नांमी। कोलायत धाम भी मगरै में पड़ै।
नाळीहनुमानगढ़, सूरतगढ़, पीळीबंगा, अनूपगढ़, विजयनगर अर हरियाणा रै सिरसै जिलै रै गांवां नै नाळी कैवै। अठै बगण आळी वैदिक नदी सुरसती जकी नै अजकाळै घग्घर भी कैवै। इण नदी खेतर नै नाळी कैईजै। इण इलाकै रो नांव नाळी क्यूं थरपीज्यो। इण सूं जुड़ियोड़ी एक रोचक बात है। आओ बांचां-जद घग्घर में पाणी आंवतो। बीकानेर रा राजा नदी पूजण हनुमानगढ़ आंवता। एकर राजाजी हनुमानगढ़ आयोड़ा हा। लारै सूं एक जणो अरदास लेय'र महलां पूग्यो। राजाजी नीं मिल्या। पूछ्यो तो लोगां बतायो, नदी पूजण गया है। बण पूछ्यो, नदी के होवै? एक कारिंदै जमीन माथै माटी में घोचै सूं लीकटी बणाई। लोटै सूं उण में पाणी घाल्यो। बतायो, नदी इयां होवै। बण कैयो, ऐ डोफा! आ क्यांरी नदी ? आ तो नाळी है, नाळी। बस उण दिन रै बाद इण इलाकै रो नांव नाळी पड़ग्यो। नाळी रा चावळ, कणक अर चीणा जग में नांमी। नाळी री जमीन घणी उपजाऊ होवै।

3 टिप्‍पणियां:

  1. omji,
    wah, aanand aa gaya.
    aap jaise lakhko ne bhaskar ka bhi maan badhaya hai.
    sn soniji se mene anurodh kar rakha hai ki "aapni bhasha" sthambh ko prati saptah fir se shuru kare.
    aap blog se jud gaye hai yah aap ke sms se aaj hi pata chala,badhai aur sathiyo ko bhi protsahit kare.
    kirti rana/www.pachmel.blogspot.com

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  2. Om Ji. gani gani badhai. app ro kam dekh n gano harekh hueo. blog mate mayad bhasa ro gano choko likheo hai. iin kam ne jari rakhjo. meri shubhkamnvoo.
    ap ro
    Dr. Kunjan Acharya.

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