'कागद’ हो तो हर कोई बांचे….
कविता कोश और मैं
मेरे हिन्दी कविता-संग्रह
धूप क्यों छेड़ती है
आदमी नहीं है
थिरकती है तृष्णा
म्हारा राजस्थानी कविता-संग्रह
आंख भर चितराम (मूल)
कुचरणी
राजस्थानी कविता-संग्रहों से
हिंदी मे अनूदित कविताएँ
अंतस री बळत
सबद गळगळा
बात तो ही
आँख भर चितराम
अन्य हिंदी कविताएँ
थार में प्यास / ओम पुरोहित ‘कागद’
हाथ-1 / ओम पुरोहित ‘कागद’
हाथ-2 / ओम पुरोहित ‘कागद’
हाथ-3 / ओम पुरोहित ‘कागद’
हाथ-4 / ओम पुरोहित ‘कागद’
हाथ-5 / ओम पुरोहित ‘कागद’
राजस्थानी कविताओं का हिंदी अनुवाद
कविता / ओम पुरोहित ‘कागद’
मूल राजस्थानी कविताएँ
धरती / ओम पुरोहित ‘कागद’
बता बेकळू / ओम पुरोहित ‘कागद’
रूंख / ओम पुरोहित ‘कागद’
सबद-1 / ओम पुरोहित ‘कागद’
सबद-2 / ओम पुरोहित ‘कागद’
कोई तो हा / ओम पुरोहित ‘कागद’
माटी होवण री जातरा / ओम पुरोहित ‘कागद’
कविता / ओम पुरोहित ‘कागद’
नीं बतावै / ओम पुरोहित ‘कागद’
मन करै / ओम पुरोहित ‘कागद’
ढिगळी होवण तांई / ओम पुरोहित ‘कागद’
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