बहुत सुंदर कविता-पाठ के लिए मेरी बधाई स्वीकारें ।
बढ़िया रचनाएं !लेकिन एक प्लेयर में पांच - सात की बजाए हर कविता अलग प्लेयर में रखते तो सुविधा रहती । कुछ पोस्ट पहले ये कविताएं आपके यहां पढ़ी भी थी …अब आपकी आवाज़ में सुनने के लिए भी मिल रही है … टुकड़ों टुकड़ों में माल निकाल रहे हैं … यह भी आप की ही कलाकारी है ।कितने रूप हैं आपकी कलाओं के !वाह ! बधाई !- राजेन्द्र स्वर्णकार शस्वरं
बहुत ही सुंदर लगा आप का यह कविता पाठ,आप की मधुर आवाज मै. धन्यवाद
पूर्व में पढ़ी कविताओं को आपकी आवाज़ में सुनना एक बेहतरीन अहसास रहा...क्या खूब कहा है...'दंभ था निरा '......' हमने गमलों में नहीं उगाये सपने ,रोप दिए थार में '....आप की कही दूसरी कविता मुझे सर्वाधिक पसंद आई॥मखमली आवाज़ में श्रेष्ठ कविताओं के लिये आभार...
shabdon o sur me baandhna... aap dono me daksh hain
बहुत सुन्दर लगा आपकी मधुर आवाज़ में उम्दा कविता सुनकर!
बहुत ही सुन्दर कविता पाठ है ओमजी।
बहुत सुंदर कविता-पाठ के लिए मेरी बधाई स्वीकारें ।
जवाब देंहटाएंबढ़िया रचनाएं !
जवाब देंहटाएंलेकिन एक प्लेयर में पांच - सात की बजाए हर कविता अलग प्लेयर में रखते तो सुविधा रहती ।
कुछ पोस्ट पहले ये कविताएं आपके यहां पढ़ी भी थी …
अब आपकी आवाज़ में सुनने के लिए भी मिल रही है … टुकड़ों टुकड़ों में माल निकाल रहे हैं … यह भी आप की ही कलाकारी है ।
कितने रूप हैं आपकी कलाओं के !
वाह ! बधाई !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
शस्वरं
बहुत ही सुंदर लगा आप का यह कविता पाठ,आप की मधुर आवाज मै. धन्यवाद
जवाब देंहटाएंपूर्व में पढ़ी कविताओं को आपकी आवाज़ में सुनना एक बेहतरीन अहसास रहा...
जवाब देंहटाएंक्या खूब कहा है...'दंभ था निरा '......' हमने गमलों में नहीं उगाये सपने ,रोप दिए थार में '....
आप की कही दूसरी कविता मुझे सर्वाधिक पसंद आई॥
मखमली आवाज़ में श्रेष्ठ कविताओं के लिये आभार...
shabdon o sur me baandhna... aap dono me daksh hain
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लगा आपकी मधुर आवाज़ में उम्दा कविता सुनकर!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर कविता पाठ है ओमजी।
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