*अविचल पहाड़*
खड़ा था पहाड़
अटल-अविचल
नभ को नापता
सूरज को तापता
आंधियों ने
वो अविचल पहाड़
हिला दिया
काट-तोड़-फोड़
हवाओं ने वो पहाड़
मिट्टी में मिला दिया !
.
[<0>]प्रीत की साख[<0>]
निराशा के थेहड़ में भी
आशा की उज्ज्वल किरण
सुरक्षित है हमारे लिए
जो आ ही जाएगी
आत्मीय स्पर्श ले
हमारे सन्मुख
समय के साथ
इस लिए
मैं कर रहा हूं इंतजार
समय के पलटने का ।
समय दौड़ रहा है
आ रहा है समीप
या जा है रहा दूर
अभी तो देता नहीं
वांछित ऐहसास
आश्वस्त हूं मगर मैं
एक हो ही जाएगा
हमारे सन्मुख नतमस्तक !
इसी लिए
कहता हूं प्रिय
तुम भी करो इंतजार
बैठ कर अपने भीतर
बदलते समय का
यही आएगा
बन साक्षी
भरने प्रीत की साख !
खड़ा था पहाड़
अटल-अविचल
नभ को नापता
सूरज को तापता
आंधियों ने
वो अविचल पहाड़
हिला दिया
काट-तोड़-फोड़
हवाओं ने वो पहाड़
मिट्टी में मिला दिया !
.
[<0>]प्रीत की साख[<0>]
निराशा के थेहड़ में भी
आशा की उज्ज्वल किरण
सुरक्षित है हमारे लिए
जो आ ही जाएगी
आत्मीय स्पर्श ले
हमारे सन्मुख
समय के साथ
इस लिए
मैं कर रहा हूं इंतजार
समय के पलटने का ।
समय दौड़ रहा है
आ रहा है समीप
या जा है रहा दूर
अभी तो देता नहीं
वांछित ऐहसास
आश्वस्त हूं मगर मैं
एक हो ही जाएगा
हमारे सन्मुख नतमस्तक !
इसी लिए
कहता हूं प्रिय
तुम भी करो इंतजार
बैठ कर अपने भीतर
बदलते समय का
यही आएगा
बन साक्षी
भरने प्रीत की साख !
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