{{}} काफ़िर शरद में {{}}
आया करो
मन मरुस्थल पर
काफ़िर शरद मेँ
मावठ की तरह
झूम कर !
छोड़ शिखर
जिद्द का
नीचे मी
उतरा करो
आया करो चाहे
पर्वतो पर उन्मुक्त
घूम कर !
हम हैं
ख़ला से उतरी
किरण सूरज की
होंगी खुश
पत्तियों पर
बूंद शबनमी
चूम कर !
आया करो
मन मरुस्थल पर
काफ़िर शरद मेँ
मावठ की तरह
झूम कर !
छोड़ शिखर
जिद्द का
नीचे मी
उतरा करो
आया करो चाहे
पर्वतो पर उन्मुक्त
घूम कर !
हम हैं
ख़ला से उतरी
किरण सूरज की
होंगी खुश
पत्तियों पर
बूंद शबनमी
चूम कर !
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