रविवार, जनवरी 29, 2012

एक बाल कविता





[] गांधी जी के तीन बंदर []



गांधी जी के तीन बंदर ।


रहते थे वो उनके अंदर।






बुरा किसी को कहा नहीं ।


बुरा किसी का सुना नहीं ।


बुरा किसी का सहा नहीं ।


सदा वो रहते मस्तकलंदर।


गांधी जी के तीन बंदर ।।






बुरे न बोले बोले कभी ।


जो बोले सो तोल सभी।


दिल की बातें खोल सभी।


प्रेम भाव के भरे समंदर ।


गांधी जी के तीन बंदर ।।






बुरा न देखा कभी किसी का ।


बुरा न समझा कभी किसी का ।


बुरा न सोचा कभी किसी का ।


राम रहीमा के पैगम्बर ।


गांधी जी के तीन बंदर ।।

[ यह कविता शिक्षा विभाग , राजस्थान ने
अपनी हालिया पुस्तक में प्रकाशित की है । ]

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