[] गांधी जी के तीन बंदर []
गांधी जी के तीन बंदर ।
रहते थे वो उनके अंदर।
बुरा किसी को कहा नहीं ।
बुरा किसी का सुना नहीं ।
बुरा किसी का सहा नहीं ।
सदा वो रहते मस्तकलंदर।
गांधी जी के तीन बंदर ।।
बुरे न बोले बोले कभी ।
जो बोले सो तोल सभी।
दिल की बातें खोल सभी।
प्रेम भाव के भरे समंदर ।
गांधी जी के तीन बंदर ।।
बुरा न देखा कभी किसी का ।
बुरा न समझा कभी किसी का ।
बुरा न सोचा कभी किसी का ।
राम रहीमा के पैगम्बर ।
गांधी जी के तीन बंदर ।।
[ यह कविता शिक्षा विभाग , राजस्थान ने
अपनी हालिया पुस्तक में प्रकाशित की है । ]
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