(::) रेत की पीर (::)
[1]
बहुत रोती होगी
रात के सन्नातटे में
बुक्काफाड़
तभी तो
हो लेती है
भोर में
शीतल
शांत
धीर
रेत की
अनकथ पीर !
[2]
हवा के संग
छोड़ यायावरी
दुबक गई है
प्रेत सरीखी
शीत से
भयभीत रेत
लिपट धरा से
पाने
अंतस बसी
स्नेहिल तपिश
[1]
बहुत रोती होगी
रात के सन्नातटे में
बुक्काफाड़
तभी तो
हो लेती है
भोर में
शीतल
शांत
धीर
रेत की
अनकथ पीर !
[2]
हवा के संग
छोड़ यायावरी
दुबक गई है
प्रेत सरीखी
शीत से
भयभीत रेत
लिपट धरा से
पाने
अंतस बसी
स्नेहिल तपिश
"लिपट धरा से
जवाब देंहटाएंपाने
अंतस बसी
स्नेहिल तपिश"
वाह ! कितने सम्मोहक शब्दचित्र हैं ! अद्भुत !