रविवार, अप्रैल 01, 2012

नयन में आग

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*~~* नयन में आग *~~*

जो देखो तो तन में आग ।
ना देखो तो मन में आग ।।
निकलें जो कभी घर से तो ।
इस समूचे वतन में आग ।।
बिखरे जो मुस्कान आपकी ।
हो मुर्दों के कफन में आग ।।
चल दो लहरा कर कदम दो।
तो लगे सब्ज चमन में आग।।
झुलस ही जाए बुत्त से बने ।
खिलोनों के नयन में आग ।।

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