रविवार, अप्रैल 01, 2012

छूटी कोख का दर्द

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* छूटी कोख का दर्द *


तुम ने पैदा हो कर
कौन से पहाड़ खोद दिए
कौन से घर में
थाम दिए आंसू
कहां कहां रोके अपराध
रोक दिया क्या भ्रष्टाचार
तो फिर
तुम क्यों जन्मे पापा
किस भय के चलते
रोक दिया तुम ने
जन्म मेरा मम्मी ?

पुरुषों के जन्म पर
घर में अब तलक
कितनी थालियां
बजा बजा फोड़ दीं
कितनी गुड़-मिठाईयां
खा-बांट दी
कितनी कितनी शराब
पी-बहा दी शौचालयों में
नगद बधाईयां बांट
जमा पूंजी लुटा कर
मूंछो ताव देने के सिवाय
क्या हाथ आया पापा ?

खूब सही आप ने
जान बूझ कर
पुरुष की नादानियां
बेखोफ अवारगी
गली मोहल्ले पहुंच
बटोरते रहे ताने-उल्हाने
ये सब तभी थमें
जब किसी घर की बेटी ने
थामे हाथ तुम्हारे सपूत के
आ कर तुम्हारे आंगन
जरा सोचो-
उस घर ने भी जो
थाम दिया होता
बेटी का जन्म
तो कैसे संवरता
आपका आवारा होता सपूत
आपका बहका आंगन ?

बात बात में
आप कहते-सुनते हैं ;
आने वाला
अपना भाग्य
ले कर आता है
जो चौंच देता है
वही दाना भी देता है
फिर क्यों घबराए पापा ?

मां बाप नहीं
भगवान बनाता है
जौड़ा तो ऊपर से आता है
फिर क्यों तोड़ दिया
जोड़ा हमारा
मेरा जोड़ीदार तो
जन्म भी गया होगा
मेरे बिना अब वो
भटकता रहेगा
ऐसा पाप आपने
क्यों कमाया मम्मी ?

जाओ पापा
अब तो सम्भलो
बेटे की बेटी आने दो
आ कर दादा का घर
खेल-कूद सजाने दो !

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