गुरुवार, मई 24, 2012

पंद्रह हाइकु

हाइकु ही हाइकु
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1.
मन की बात
मन से बोला मन
हो गई प्रीत !
2.
खुली आंख में
बही नदी प्रीत की
डूबे प्रीतम !
3.
उघाड़ी आंख
टपक गया आंसू
हो गई प्रीत !
4.
तनहाई में
खिल आई मुस्कान
छलकी प्रीत !
5.
भाए दर्पण
भोजन-पानी छूटे
बहकी प्रीत !
6.
डालते रंग
लाल-पीला-नारंगी
भीतर काला ।
7.
मन चंचल
चलाए पिचकारी
बोलते रंग ।
8.
उजला तन
मन मे मलीनता
खेलो होली ।
9.
दिखते अंग
भूले रंग सकल
होली तो हो ली ।
10.
डालते रंग
रंग में है भंग
चेहरे फीके ।
11.
उड़ती देख
चेहरों की रंगत
खुद को छोड़ !
12.
जिंदा आदमी
मुरदे सा भटके
करो मातम !
13.
चले बाजार
भर थैले में नोट
मिलेगा आटा ?
14.
मंदिर में जा
बन गया देवता
था तो पत्थर !
15.
रोटी महंगी
घर नहीं पकती
कपड़ा दूर !

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ओम पुरोहित"कागद"
24-दुर्गा कोलोनी
हनुमानगढ़ संगम-335512
[ राजस्थान ]

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