बुधवार, जून 06, 2012

हम उनके खिलौने

हम उनके खिलौने
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किसी ने कहा
ज़िन्दगी एक खेल है
इसे खेलते रहिए
प्रतिद्वंद्वी ताक़तवर है तो
उसे झेलते रहिए
जूझते-जूझते तुम भी
इस खेल का
तरीका सीख जाओगे
फिर देखना
ज़िन्दगी जीने का
सलीका सीख जाओगे !

उन्होंने बताया
बाधाओं को निर्बाध
खिलौना बनाइए
फिर चाहो जैसे
उन से खेल जाइए !

उन से सीख पा कर
हम निकल पड़े
अपने घर से
बाधाएं तो नहीं
हम ही बने खिलौना
अब वही खेलते हैं
हम से खेल
हम आज भी
उन्हें रहे हैं झेल
वे दिन ओ दिन
निपुण खिलाड़ी हो गए
हम उनके हाथ का
दिलकश खिलौना !

आज वे कहते हैं
हर खेल में
बुद्धि और बल का
तालमेल होना चाहिए
जिस में चतुराई का
घालमेल होना चाहिए
हार-जीत का
मोह छोड़िए
खेल को
खेल की भावना से
अविचल खेलिए !

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