गज़ल
हर झूठ को ढोना जरूरी नहीं ।
झूठ पर सच खोना जरूरी नहीं ।।
माना जमाने का दर्द उठाए हो ।
इस बात पर रोना जरूरी नहीं ।।
माना बाकी रही नींद आपकी ।
हर रात तो सोना जरूरी नहीं ।।
माना तसल्ली से देखा है ख्वाब ।
ख्वाब सच तो होना जरूरी नहीं ।।
जरूरी है जंग छाया के लिए ।
सूरज मगर खोना जरूरी नहीं ।।
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