'कागद’ हो तो हर कोई बांचे….
शुक्रवार, अप्रैल 25, 2014
सपने
तेरी आंखों मेँ
मेरे सपने
मेरे सपनोँ मेँ
तेरी आंखें !
कभी कभी
मेरे सपनोँ से
मगर हर पल
डरता हूं
तेरी आंखोँ से !
तेरी आंख के सपने पर
मेरा नियंत्रण
हरगिज नहीँ
सपनोँ पर
तेरा नियंत्रण
बहुत डराता है
फिर भी
न जाने क्योँ
खुली आंख भी
भयानक सपना आता है !
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