शुक्रवार, सितंबर 03, 2010

ओम पुरोहित "कागद" की दो हिन्दी कविताएं


 राजस्थान साहित्य अकादमी के



सुधीन्द्र पुरस्कार से पुरस्कृत कृति


आदमी नहीं है "१९९५" से



1
इन्कलाब


कुछ लोगों ने


भीड़ से कहा


वो जो मोटे पेट वाले हैं


और ऊंची अट्टालिकाओं में बैठे हैं


इन्होंने ही

तुम्हारा शोषण किया है


तुम्हारे हिस्से को


अपनी तिजोरियों में भर लिया है,


यही कारण है


कि तुम दबे-कुचले और धनहीन हो।




उठो !


संघर्ष करो


इनके विरुद्ध


फोड़ डालो इनका पेट


बोटी बोटी नोच डालो


और


तिजोरियां लूट कर


अपने शोषण का


सदियों पुराना हिसाब


चुकता कर लो।


तुम्हें इंकलाब लाना है


मारो इन्हें


मारो ! मारो !!




भीड़ ने


ऎसा ही किया


सदियों के शोषक मारे गए


और


भीड़ को भीड़ में


शहीद होने का गौरव मिला।


वे लोग


उठ कर आए


जो भीड़ का नेतृत्‍व कर रहे थे


मगर


भीड़ में सब से पीछे थे


ऊंची आवाज में चिल्लाए


कोई है।


शून्य में उनकी आवाज


लौट आई


उन्होने


अट्‍टहास किया


सारा माल


अपनी झोली में डाल

 महल तक आये


राजसिंहासन पर बैठ


नारा बुलन्द किया


इन्कलाब!


जिन्दाबाद ! जिन्दाबाद !!


अनाम भीड़ !


जिन्दाबाद ! जिन्दाबाद !!




2

ढाई आखर




उस ने


वह पूरी किताब पढ़ ली


अब वह


पूरी किताब है


मगर


उसे


आज तक


कोई पाठक नहीं मिला।






उस ने


जो किताब पढ़ी थी


उसे अब तक


दीमक चाट चुकी होगी


लेकिन


वह दीमक के लिए नहीं है


खुल जाएगा


एक दिन


सब के सामने


और


बंचवा देगा


अपने ढाई आखर सब को।

11 टिप्‍पणियां:

  1. Bhai Om kagad,
    Aap ki kavita Inqlab pedhi.Kavita m josh tha urja thi legta hai Aap bhi janvadi ho geye ho.Janvad ek taket deta hai.Nichye deveye kuchle logon ko.
    Aap n Aaj kavita m jo inqlab diya hai .who bhut hi sunder hai.
    Aap ko janvad k liye bhadiye.
    NARESH MEHAN

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  2. pehli kavita vismit kar deti hai... shayad apne desh ke saath aisa hi hua hai.. eak shashak gaya aur dusra aa gaya apne hi beech se .. bahut hi gambhir aur udwelit kar dene wali rachna..

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  3. बहुत सुंदर भाव लिए रचना |बधाई
    आशा

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  4. दोनों कवितायेँ बहुत ही सुंदर हैं
    और भाव ऐसे की मन उद्वेलित हुए बिना नहीं रह सकता.....
    खूबसूरत रचनाओं के लिए आभार....

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  5. badi gahri choot karte ho pandit ji--जो भीड़ का नेतृत्‍व कर रहे थे bahut gahri hai-

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  6. shandaar kavitaayein..................... vaicharik roop se donon kavitaayein asar chhodati hain. aisi kavitaaon ke liye sadhuwaad.........

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