*** गांव के दो चित्र ***
[ दो कविताएं ]
** गांव में **
तीन साल पहले
समाचार-पत्र में
समाचार था ;
गांव में पानी की तंगी
अभी दस दिन पहले
समाचार-पत्र में
फ़िर समाचार था ;
पानी की टंकी में रिसाव है
इसे गिराने में ही बचाव है ।
आज फ़िर समाचार है
पानी की टंकी गिरा दी गई
यूं जनता बचा ली गई ।
यह अलग बात है कि
गांव में
किसी ने
समाचार-पत्र आने के सिवाय
कोई घटना
कभी भी नहीं देखी
प्रेस-नोट सरकारी थे
इस लिए विश्वसनीय थे ।
** अकाल में गांव **
================
गांव में
चार साल से अकाल था
फ़ेमिन था
फ़ेमिन में
काम के बदले
अनाज मिलता था
जिस्म के बदले
और जिस्म में
जान नहीं थी
बिरखा के लिए
अलूणे रविवार
निर्जला सोमवार के
व्रतों के कारण ।
गांव की दीवारों पर
नारा था-
पानी बचाओ !
बिजली बचाओ !!
सबको पढा़ओ !!!
यह अलग बात है कि
गांव में
न पानी था
न बिजली थी
न स्कूल था !
गांव में
न धंधा था
न खेती थी
न उद्योग था ।
प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत
शहर से सड़क ज़रूर आ गई थी
जो ले गई
शहर में
आदमी कम
सौदागर बहुत थे
यूं तो शहर में
"काम" बहुत था
और आदमी का
आदमी बने रहना
बहुत मुश्किल था
लौटना पडा़
उसी गांव में
जो अंधी सुरंग से
** गांव में **
===========
तीन साल पहले
समाचार-पत्र में
समाचार था ;
गांव में पानी की तंगी
दूर होगी
बनेगी पानी की टंकी ।
समाचार-पत्र में
फ़िर समाचार था ;
पानी की टंकी में रिसाव है
इसे गिराने में ही बचाव है ।
आज फ़िर समाचार है
पानी की टंकी गिरा दी गई
यूं जनता बचा ली गई ।
यह अलग बात है कि
गांव में
किसी ने
समाचार-पत्र आने के सिवाय
कोई घटना
कभी भी नहीं देखी
प्रेस-नोट सरकारी थे
इस लिए विश्वसनीय थे ।
** अकाल में गांव **
================
गांव में
चार साल से अकाल था
फ़ेमिन था
फ़ेमिन में
काम के बदले
अनाज मिलता था
जिस्म के बदले
और जिस्म में
जान नहीं थी
बिरखा के लिए
अलूणे रविवार
निर्जला सोमवार के
व्रतों के कारण ।
गांव की दीवारों पर
नारा था-
पानी बचाओ !
बिजली बचाओ !!
सबको पढा़ओ !!!
यह अलग बात है कि
गांव में
न पानी था
न बिजली थी
न स्कूल था !
गांव में
न धंधा था
न खेती थी
न उद्योग था ।
प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत
शहर से सड़क ज़रूर आ गई थी
जो ले गई
शहर में
आदमी कम
सौदागर बहुत थे
यूं तो शहर में
"काम" बहुत था
और आदमी का
आदमी बने रहना
बहुत मुश्किल था
लौटना पडा़
उसी गांव में
जो अंधी सुरंग से
कभी कम न था !
"प्रेस-नोट सरकारी थे
जवाब देंहटाएंइस लिए विश्वसनीय थे"
क्या बात है - जबरदस्त
वाह जी आप ने गांव की सही तस्वीर उतारी अपनी रचना मे, बहुत सुंदर, धन्यवाद
जवाब देंहटाएंbahut sateek chitran gaon ka ....
जवाब देंहटाएंअभी कुछ अरसा पहले एक फ़िल्म देखी थी, जिसमें सरकारी कागजों पर कुएं निर्मित थे. इसी बिना पर कुएं के चोरी हो जाने की रिपोर्ट लिख दी जाती है. दिलचस्प फ़िल्म थी.
जवाब देंहटाएंआपकी कविता ने वही फ़िल्म की याद ताजा कर दी.
सार्थक रचनाएं हैं
सत्य वचन जी, आप की रचनाओ मे, ओर अति सुंदर चित्र, धन्यवाद
जवाब देंहटाएंगाँव और हमारी योजनाओं की नंगी तस्वीर पेश की है आपने अपनी दोनों रचनाओं में....बधाई
जवाब देंहटाएंनीरज
गांव की सही तस्वीर उतारी आपने अपनी रचना मे| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंek nanga sach----
जवाब देंहटाएंjai baba banaras--
ओम् जी ! बेहद सुन्दर रचना ... आज की हकीकत का बुत ही सुन्दर तरीके से चित्रण ... सोचने का तरीका लाजवाब
जवाब देंहटाएंbahut he chokhi hain kavita madsa
जवाब देंहटाएंapke gramin parivesh pe varnan ka koi jawab nahi hain