सच भी बहाना
सच अपना तो सब फसाना लगता है ।
सच्चे का मगर सब बहाना लगता है ।।
अश्कों से भीगा चेहरा ये आपको ।
हमाम में खुल कर नहाना लगता है ।।
लगा कर मुखपट्टियां मुखड़े हमारे ।
बीच से दीवार ढहाना लगता है ।।
वादे टूटे तो टूटें सो मरतबा ।
उनको अपना दर्द तहाना लगता है ।।
आती नहीं सांस वहम की दुर्गंध में ।
तुमको ये मौसम सुहाना लगता है ।।
सच अपना तो सब फसाना लगता है ।
सच्चे का मगर सब बहाना लगता है ।।
अश्कों से भीगा चेहरा ये आपको ।
हमाम में खुल कर नहाना लगता है ।।
लगा कर मुखपट्टियां मुखड़े हमारे ।
बीच से दीवार ढहाना लगता है ।।
वादे टूटे तो टूटें सो मरतबा ।
उनको अपना दर्द तहाना लगता है ।।
आती नहीं सांस वहम की दुर्गंध में ।
तुमको ये मौसम सुहाना लगता है ।।
क्या लिखा है गुरू जी ! लाजवाब !
जवाब देंहटाएंअश्कों से भीगा चेहरा ये आपको ।
जवाब देंहटाएंहमाम में खुल कर नहाना लगता है ।..waah sir ji..