<>मनभावन आ गया<>
नवल धवल
उज्जवल पावन
रश्मियां मनभावन
ओढ़ तन
उचका सूरज
समा बदल गया
पा नव मिलन
धरा धन्य
महक-चहक बोली
मन भावन आ गया
वो देखो दबे पांव
नया साल आ गया ।
पूर्व से पश्चिम
पासंग पिया
छूता अंग-अंग
धरा के चेहरे
छाई लालिमा
पसरा मधुरस
तन-मन को भा गया
साल नया आ गया !
अब आओ पिया
तुम भी आ जाओ
जैसे मिलते
पल-दिन-महीने
तुम भी आ कर
मुझ मेँ मिल जाओ
पा सान्निध्य
दोनो खिल जाएंगे
फिर कहे सृष्टि
सृजन क्षण आ गया
साल नया आ गया !
नवल धवल
उज्जवल पावन
रश्मियां मनभावन
ओढ़ तन
उचका सूरज
समा बदल गया
पा नव मिलन
धरा धन्य
महक-चहक बोली
मन भावन आ गया
वो देखो दबे पांव
नया साल आ गया ।
पूर्व से पश्चिम
पासंग पिया
छूता अंग-अंग
धरा के चेहरे
छाई लालिमा
पसरा मधुरस
तन-मन को भा गया
साल नया आ गया !
अब आओ पिया
तुम भी आ जाओ
जैसे मिलते
पल-दिन-महीने
तुम भी आ कर
मुझ मेँ मिल जाओ
पा सान्निध्य
दोनो खिल जाएंगे
फिर कहे सृष्टि
सृजन क्षण आ गया
साल नया आ गया !
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