<0> बदला कुछ नहीं <0>
लोगों ने जश्न मनाया
बाकी दिनों की तुलना में
कुछ जादा खाया-उड़ाया
नाचे-कूदे
धूम-धड़ाका किया
शोर मचाया
साल बदल गया
मगर बदला कुछ नहीं ।
सब ओर
वही तस्वीर
वही क्रम-उपक्रम
वही नेता
वही वादे-इरादे
दर वही
लाओ-लाओ करते
घर वही
महज बारह पेज वाला
कैलेण्डर बदला
किसी किसी घर में ।
कैलेण्डर बदलने से
दिन नहीं बदलते
नहीं बदले
ओवर ब्रिज के नीचे
बसती दुनिया की बेबसी
कचरा बीन-बेच
पलती लाचारी
अधिकार के लिए
अनशन पर बैठ
हाथ मलती भीड़
वही का वही तो है शेष
नए साल में ।
गत की तरह
नवागत में भी
घड़े जा रहे हैं
लाखों रोजगार दिवस
जिनको अंततः
बन ही जाना है
ठेकेदार का मस्टर रोल
गत कि तरह आज भी
गरीबी की रेखा तले पड़ी अनाम भीड़ नहीं जानती
सैंसेक्स का अर्थशास्त्र !
खुले आसमान तले
बैठा नत्थू
बड़बड़ा रहा है
सारे वही हैं
तारे वही हैं
सूरज-चांद वही है
ज़मीन और ज़मीर वही है
जिस मौत बाप मरा था
वही दौड़ी आ रही है
नंगे पांव मेरी ओर भी
मुझे दिख रहा है
वही कफ़न
नगरपालिका वाला
जो मिला था बापू को ।
बड़बड़ाता नत्थू
बोल ही गया ;
इस बार
कैलेण्डर नहीं
दिन बदलो हुक्मरानों !
लोगों ने जश्न मनाया
बाकी दिनों की तुलना में
कुछ जादा खाया-उड़ाया
नाचे-कूदे
धूम-धड़ाका किया
शोर मचाया
साल बदल गया
मगर बदला कुछ नहीं ।
सब ओर
वही तस्वीर
वही क्रम-उपक्रम
वही नेता
वही वादे-इरादे
दर वही
लाओ-लाओ करते
घर वही
महज बारह पेज वाला
कैलेण्डर बदला
किसी किसी घर में ।
कैलेण्डर बदलने से
दिन नहीं बदलते
नहीं बदले
ओवर ब्रिज के नीचे
बसती दुनिया की बेबसी
कचरा बीन-बेच
पलती लाचारी
अधिकार के लिए
अनशन पर बैठ
हाथ मलती भीड़
वही का वही तो है शेष
नए साल में ।
गत की तरह
नवागत में भी
घड़े जा रहे हैं
लाखों रोजगार दिवस
जिनको अंततः
बन ही जाना है
ठेकेदार का मस्टर रोल
गत कि तरह आज भी
गरीबी की रेखा तले पड़ी अनाम भीड़ नहीं जानती
सैंसेक्स का अर्थशास्त्र !
खुले आसमान तले
बैठा नत्थू
बड़बड़ा रहा है
सारे वही हैं
तारे वही हैं
सूरज-चांद वही है
ज़मीन और ज़मीर वही है
जिस मौत बाप मरा था
वही दौड़ी आ रही है
नंगे पांव मेरी ओर भी
मुझे दिख रहा है
वही कफ़न
नगरपालिका वाला
जो मिला था बापू को ।
बड़बड़ाता नत्थू
बोल ही गया ;
इस बार
कैलेण्डर नहीं
दिन बदलो हुक्मरानों !
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