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]()[ प्रीत :पांच चित्र ]()[
[1]
प्रीत में
भूखे रह
परस्पर
खाई कसमें
कुछ निभीं
कुछ टूटीं
टूटी जुड़ीं
निभी टूटीं
चला सिलसिला
पकती गई प्रीत !
[2]
प्रीत जगी
उठी
चली परस्पर
कदम जोड़
मरना सिखा गई
या कि जीना
मिला नहीं तलपट !
[3]
न प्रत्यक्ष थी
न अप्रत्यक्ष
न दिमाग में थी
न देह में
थी अमर
दिल में
दिल जला
मगर
पकी प्रीत !
[4]
आंखो में पगी
होंठो पर छाई
कदम मचल गए
यूं प्रीत के तीर
सध कर चल गए
मरी नफ़रत
मौन प्रीत को
प्राण मिल गए ।
[5]
न चांदनी थी
न बरखा-बहार
न अमराई थी
न कैफे-बार
कचरा बीनते
झरते पसीने
उतर गई प्रीत
न घर था
न बनाया
मजदूर के दर
बस गई प्रीत !
]()[ प्रीत :पांच चित्र ]()[
[1]
प्रीत में
भूखे रह
परस्पर
खाई कसमें
कुछ निभीं
कुछ टूटीं
टूटी जुड़ीं
निभी टूटीं
चला सिलसिला
पकती गई प्रीत !
[2]
प्रीत जगी
उठी
चली परस्पर
कदम जोड़
मरना सिखा गई
या कि जीना
मिला नहीं तलपट !
[3]
न प्रत्यक्ष थी
न अप्रत्यक्ष
न दिमाग में थी
न देह में
थी अमर
दिल में
दिल जला
मगर
पकी प्रीत !
[4]
आंखो में पगी
होंठो पर छाई
कदम मचल गए
यूं प्रीत के तीर
सध कर चल गए
मरी नफ़रत
मौन प्रीत को
प्राण मिल गए ।
[5]
न चांदनी थी
न बरखा-बहार
न अमराई थी
न कैफे-बार
कचरा बीनते
झरते पसीने
उतर गई प्रीत
न घर था
न बनाया
मजदूर के दर
बस गई प्रीत !
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