रविवार, मई 20, 2012

एक हिन्दी कविता

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इश्क का फलसफा
= ♥ = ♥ = ♥ =

दिल का दर्द
होता है कैसा
न जाना कभी
सुना था
दर्द-ए-दिल होता है
इश्क करने वालों को
हम ने ना किया
किसी से कभी इश्क
हम ने माना था
इश्क में है रिश्क !

इसी चक्कर में
हम कर गए पादान
उमर के पच्चपन पार
हम समझ न पाए
उलझन बन गई
आज ये भारी
अब क्यों कर हुआ
बेवज़ह दर्द-ए-दिल ?

यह फलसफा
चढ़ती उमर का
एक छोटा बच्चा
हमें समझा गया ;
अंकल आपको
अपनी ज़िन्दगी से
अब प्यार आ गया
आप जीना चाहते हैं
कुछ साल और
लगता है देह को
अब रूह का
अंतिम समाचार आ गया !

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