रविवार, मई 20, 2012

एक हिन्दी कविता

नत्थू गरीब नहीं है
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नत्थू के पास
नहीं है
गरीबी का प्रमाण पत्र
इस लिए
सरकार की नज़रों में
नत्थू अमीर है ।

नत्थू का चूल्हा कम
दिल जादा जलता है
दिल की दवा
नहीं ले सकता नत्थू
क्यों कि उस के पास
नहीं है हरे रंग वाला
बी.पी. एल. कार्ड !

नत्थू सोता है
अपने परिवार संग
खुले में यहां-वहां
उसका नहीं है
कोई अपना घर
नहीं है अपनी जमीन
इस लिए
नहीं हो सकता स्वीकृत
इन्दिरा आवास !

नत्थू नहीं जाता
नरेगा में खटने
उस के पास नहीं है
जोब कार्ड
जोब कार्ड बने भी कैसे
नाम नहीं है उसका
मतदाता सूची में ।

जब बन रही थी
मतदाता सूची
हो रहा था सर्वे
बी.पी.एल. का
वह परदेश में था
परिवार सहित
मजूरी के लिए
आज लौटा है
खाली हाथ
मगर गरीब नहीं !

उधर सरपंच का
पूरा कुनबा
बी.पी.एल.है
क्यों न हो
आखिर कोठियों वाले
रसूखदार जो हैं
सरकारी अमला
जीमता है उनके यहां
बदले में
इंदिरा आवास
अन्नपूर्णा का अन्न
वृद्धावस्था पेंशन
ग्रीन कार्ड
जोब कार्ड बख्श जाते हैं
उनकी चौखट पर
बर्तन मांज कर
लौट आता है
नत्थू का कुनबा !

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