रविवार, मई 20, 2012

एक हिन्दी कविता

*नींद न आने की कविता*
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आओ
आज कविता लिखें !

सब्जी-रोटी पर
क्या और कैसे लिखें
दोनों ही नहीं
सभी की थालियों में
थालियां भी तो नहीं
सभी घरों में ।

पानी जमीन पर तो क्यां
आंख तक में नहीं बचा
इस लिए पानी पर
कैसे हो सकती है
कोई पूरी कविता !

क्या कहा
प्रेम पर लिखोगे
कहां है प्रेम ?
देश-गांव-मोहल्ले से
मां-बाप-भाई-बहिन से
अन्य रिश्तेदारों के नाम
कौन बताएगा तुम्हे ?

प्रेम का तो भाई
कायाकल्प हो गया
यह शब्द
प्रेमी-प्रेमिकाओं से
चिपक गया
तुम्हे हो सकता है
तुम से किसे है प्यार
सच बताना
चलो सोच लो खुल कर
प्रेम पर
आज न सही
कल लिख लेना
एक प्रेम कविता !

नत्थू
परेशान हो कर
करेगा आत्महत्या
इस पर तुम
कैसे लिखोगे कविता ?
नत्थू के बाद
सारे सवाल
तुम से किए जाएंगे
मीडिया और पुलिस
तुम्हारे घर तक की
उखाड़ देंगे सड़क
तुम तो जानते हो
सड़क के लिए
नेताओं के यहां
चक्कर लगा-लगा
घिस जाती हैं चप्पलें !

क्या तुम
चप्पल पर लिखोगे ?
अरे छोड़ो यार
चप्पलें आज कल
पैरों में कम
हाथों में जादा
नज़र आती है
वैसे भी
नेताओं की मांग पर
सारी चप्पलें
दिल्ली जाती हैं !

क्या कहा
कविता के विषय पर
उकता गए
अब नींद पर लिखोगे ?
चैन की नींद भला
आती किसे है
आज के दौर में
नींद के अनुभव कहां से लाओगे ?
नींद नहीं आने को
कैसे लिखोगे
नींद आने की कविता में ?

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