'कागद’ हो तो हर कोई बांचे….
गुरुवार, जून 20, 2013
दोहे
बोझ उठाए झूठ का, करता रहता बात ।
सच आए जब सामने, रोता सारी रात ।।
रोपा बिरवा झूठ का, फल में चाहे सांच ।
फसल झूठ की पाएगा, कौशल अपना जांच ।।
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