आज फिर
वैसी ही बारिश है
जैसी थी
बचपन के दिनों में
आज फिर
नहाना चाहती है
वह झूम कर
जैसे नहाई थी कभी
अपने आंगन में !
लड़की तब भी
अकेली थी
आज भी अकेली है
तब नहा ली थी
बिना सोचे
आज ठिठक कर
सोचना पड़ रहा है
रोक रहे हैं
धवल वस्त्र
टूट चुका
अटूट बंधन
पराया सा
अपना आंगन !
वही लड़की
नहाने लगी है
आंगन को छोड़
बंद कमरे में
आंखे से बरसती
स्मृतियों की बारिश में !
वैसी ही बारिश है
जैसी थी
बचपन के दिनों में
आज फिर
नहाना चाहती है
वह झूम कर
जैसे नहाई थी कभी
अपने आंगन में !
लड़की तब भी
अकेली थी
आज भी अकेली है
तब नहा ली थी
बिना सोचे
आज ठिठक कर
सोचना पड़ रहा है
रोक रहे हैं
धवल वस्त्र
टूट चुका
अटूट बंधन
पराया सा
अपना आंगन !
वही लड़की
नहाने लगी है
आंगन को छोड़
बंद कमरे में
आंखे से बरसती
स्मृतियों की बारिश में !
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