मरुधरा पर
बारिश का बरसना
केवल पानी का गिरना नहीँ
बहुत कुछ बंधा है यहां ।
जैसे कि पेड़-पोधोँ की रंगत
मोर का नृत्य
प्रेमी वृंद के
मिलन की चाह
किसान की उम्मीद
सरकारी योजनाएं
बजट की परवाज !
बारिश सोख भी सकती है
कर्ज मेँ आकंठ डूबे नत्थू
अधबूढ़ी कंवारी बिमली के
कई सावन से टपकते आंसू ।
मरुधर जिन्हे
संजोए बैठी है
बारिश की आस मेँ
अंकुरित हो
कुंठित बीज
बचा सकते हैँ
मिटती लाज मरुधर की
बारिश मेँ
बारिश का बरसना
केवल पानी का गिरना नहीँ
बहुत कुछ बंधा है यहां ।
जैसे कि पेड़-पोधोँ की रंगत
मोर का नृत्य
प्रेमी वृंद के
मिलन की चाह
किसान की उम्मीद
सरकारी योजनाएं
बजट की परवाज !
बारिश सोख भी सकती है
कर्ज मेँ आकंठ डूबे नत्थू
अधबूढ़ी कंवारी बिमली के
कई सावन से टपकते आंसू ।
मरुधर जिन्हे
संजोए बैठी है
बारिश की आस मेँ
अंकुरित हो
कुंठित बीज
बचा सकते हैँ
मिटती लाज मरुधर की
बारिश मेँ
मरुधरा पर
जवाब देंहटाएंबारिश का बरसना
केवल पानी का गिरना नहीँ
बहुत कुछ बंधा है यहां ।
सही कहा आपने...
सच है बारिश से ज़िंदगी भी मिलती है और जीवन मिट भी जाता है. बेहद भावपूर्ण रचना, शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .. आपकी इस रचना के लिंक की प्रविष्टी सोमवार (19.08.2013) को ब्लॉग प्रसारण पर की जाएगी, ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें .
जवाब देंहटाएंएक दिव्य अनुभूति ....बहुत सुंदर रचना ...!!
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