'कागद’ हो तो हर कोई बांचे….
शनिवार, मार्च 29, 2014
थार में सड़क
न बारिश थी
न था पानी
फिर भी
ऊग आई सड़क
निर्जन थार में ।
थार से पार
निकल गई सड़क
जिस पर चल कर
आया नहीं कोई
आया तो रुका नहीं
गए मगर बहुत
अपने पराए हो कर
फिर आई बरसात
आता ही रहा
आंखों से पानी ।
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