शुक्रवार, अप्रैल 25, 2014

अब बाज पालने होंगे

हम भ्रम में
नाग पालते रहे
पिलाते रहे दूध
जब कि 
उन्हों ने कभी
पीया ही नहीं दूध 
कभी पीया भी तो
निगल लिया खुद
अपना ही ज़हर
इस लिए वे
शत्रु के सामने
या तो खेत रहे
या फिर कमजोर !

वे चतुर-चालाक
हमारे सांपों की
जान कर कमजोरियां
पालते रहे नेवले
नेवले उन के
हमारे सांपों को
बिलों में जा कर
मारते रहे
इन सांपों के भरोसे
हम बिना लडे ही
हारते रहे !

वक्त का तकाजा है
अब हमें
बाज पालने होंगे
जो झपट सके
खूंखार नेवलों पर
दंशहीन हो चुके
अपने ही सांपों पर
एक साथ
ताकि हम जीत सकें
हम पर आ पडी
भीतर-बाहर की जंग !

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