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मेरे गीतों में अनुराग मत देख ।
दर्द में रपटी है ये राग मत देख ।।
आंखों से बहते हैं शीतल झरने ।
दिल मे दहकी है वो आग मत देख ।।
आदम के जाए भर हैं ये आदमीं ।
दिल में बैठे हैं वो नाग मत देख ।।
वो बुत देख पुजवा रहा है खुद को ।
बदले हैं पत्थरों के भाग मत देख ।।
अपनी ही चादर को रख पाक साफ ।
उनके दामन पर हैं दाग मत देख ।।
अपनी ही चादर को रख पाक साफ ।
उनके दामन पर हैं दाग मत देख ।।