'कागद’ हो तो हर कोई बांचे….
गुरुवार, जून 20, 2013
दो क्षणिकाएं
1.
* प्यार *
खुद के दिल पर
खुद की मार
पहले जिद्द
फिर तकरार
अंत में लाचार !
2.
* दिल *
जगह नहीं छोड़ता
तब भी
लिया और दिया जाता है
दिल दिया जाता है
फिर भी
जीया जाता है !
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