'कागद’ हो तो हर कोई बांचे….
गुरुवार, जून 20, 2013
दर्पण
चेहरे से अपने
हाव-भाव-घाव
सभी छुपा कर
तुम आए
दर्पण के संमुख
अब बेचारा दर्पण
क्या बताए
क्या छुपाए !
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