'कागद’ हो तो हर कोई बांचे….
गुरुवार, जून 20, 2013
* सपनों के हाइकु *
1.
देखे सपना
हम को छल कर
आंख हमारी ।
2.
देखें सपना
पड़े पलंग पर
नींद तो आए ।
3.
बांटे सपने
रख ली सारी नींद
देखते कैसे !
4.
टूटी खटिया
टूटी टूटी सी नींद
टूटे सपने !
5.
अपनी नींद
पराए थे सपने
आंखों बाहर !
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