रविवार, जनवरी 29, 2012

एक हिन्दी कविता

<>मनभावन आ गया<>




नवल धवल


उज्जवल पावन


रश्मियां मनभावन


ओढ़ तन


उचका सूरज


समा बदल गया


पा नव मिलन


धरा धन्य


महक-चहक बोली


मन भावन आ गया


वो देखो दबे पांव


नया साल आ गया ।






पूर्व से पश्चिम


पासंग पिया


छूता अंग-अंग


धरा के चेहरे


छाई लालिमा


पसरा मधुरस


तन-मन को भा गया


साल नया आ गया !






अब आओ पिया


तुम भी आ जाओ


जैसे मिलते


पल-दिन-महीने


तुम भी आ कर


मुझ मेँ मिल जाओ


पा सान्निध्य


दोनो खिल जाएंगे


फिर कहे सृष्टि


सृजन क्षण आ गया


साल नया आ गया !

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