'कागद’ हो तो हर कोई बांचे….
मंगलवार, सितंबर 25, 2012
देश के लिए
आज
देश के लिए
जान देने की नहीं
जान लेने की
दरकार है ।
जान दे कर
क्या इस देश को
उन के हवाले
छोड़ जाएंगे
जो इस देश को
लूट-लूट खाएंगे ?
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