आसमान छूने की
करते रहे बातें ताउम्र
जमीन पर चलने का
मगर सलीका ना आया
गिरे जब
ठोकर खा कर गिरे
जमीं से ही पाया सहारा
आसमान हाथ ना आया!
करते रहे बातें ताउम्र
जमीन पर चलने का
मगर सलीका ना आया
गिरे जब
ठोकर खा कर गिरे
जमीं से ही पाया सहारा
आसमान हाथ ना आया!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें