शुक्रवार, जून 21, 2013

सत्संग

बेरुखी भी आपकी अदा होती है ।
रोज नहीं मगर यदा कदा होती है ।।
बातें उधर होंगी नशीली यकीनन ।
उनकी बातें तो मयकदा होती हैं ।।
चांद के होने पर होती है पूनम ।
उनके चेहरे पर सर्वदा होती है ।।
उनके हुस्न का चर्चा सुन चकराए आप ।
हमारे यहां सत्संग सदा होती है ।।
उनके आने पर खिल जाएं है चेहरे ।
छुपने पर बस्तियां ग़मज़दा होती हैं ।।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें