शुक्रवार, जून 21, 2013

*अपने घर भी हो दिवाली*


फूटे पटाखा
छूटे फुलझड़ी
आतिश जाए आकाश मेँ
हम को क्या पड़ी
दो जून पकें रोटियां
नत्थू-बिजिया सोएं ना भूखे
हंस लें दे कर ताली
अपने घर भी हो दिवाली !

बैंक-साहूकारों का उतरे कर्ज
रोशन जगमग घर मेँ
पसरे ना कोई मर्ज
कांडवती ना हों सरकारें
समझेँ अपना फर्ज
अपने नेता जी की
नीयत ना हो काली
अपने घर भी हो दिवाली !

भीतर देश के
ना हों आतंकी
सीमा पर हो भाईचारा
घर का फौजी भैया
घर मनाए ये दिवाली
अम्मा संग बैठ कर वो भी
पीए चाय गुड़वाली
अपने घर भी हो दिवाली !

घर से निकला
घर को आए
तवे उतरी रोटी खाए
भंवरी-कंवरी हो सुरक्षित
सड़क किसी को न खाए
नोट चले सब असली
एक न निकले नकली
अपने घर भी हो दिवाली !

हक किसी का
छीने ना कोई
राजा पूछे
क्यों जनता रोई
बाजारों मेँ हो
सच्चा सौदा सेवा का
असली पर ना हो
नकली का धंधा भारी
कोई ना करे धंधा जाली
अपने घर भी हो दिवाली !

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