'कागद’ हो तो हर कोई बांचे….
सोमवार, जुलाई 29, 2013
मौन तुम
पुकारूं तो
मौन रहते हो
मौन रहूं तो
होता है आगमन
शायद तुम
बारिश रहे हो
थार में कभी
या फिर
किया है वरण
थार के आकाश में
आवारा बादल का !
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