शुक्रवार, अप्रैल 25, 2014

*बेबस है मां*

1.
जिस घर में 
कभी बजे थे
घनघना कर थाल
खूब पका था माल
आज उस घर में
मौन हैं सारे बर्तन
उदास है चूल्हा !
2.
आज भी घर से
निकले थे बच्चे
ले कर बस्ता
दोपहर का टिफिन
लौटते थे सांझ ढले
मेरी गौद में
आज क्यों आया है
केवल बस्ता
ज्योँ का त्यों टिफिन
कब लौटेंगे बच्चे
पूछ-पूछ हारी मां !
3.
बस में जाते थे
बच्चे हमेशा
आज
बेबस हैं माँ !

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