१. आ मन री बात बता दादी
आ मन री बात बता दादी।
कुण करग्यो घात बता दादी।।
भाषा थारी लेग्या लूंठा।
कुण देग्या मात बता दादी।।
दिन तो काट लियो अणबोल्यां।
कद कटसी रात बता दादी।।
मामा है जद कंस समूळा।
कुण भरसी भात बता दादी।।
भींतां जब दुड़गी सगळी।
कठै टिकै छात बता दादी।।
२. पूछो ना म्हे कितरा सोरा हां दादा
पूछो ना म्हे कितरा सोरा हां दादा।
निज भाषा बिना भोत दोरा हां दादा।।
कमावणो आप रो बतावणो दूजां रो।
परबस होयोड़ा ढिंढोरा हां दादा।।
अंतस में अळकत, है मोकळी बातां।
मनड़ै री मन में ई मोरां हां दादा।।
राज री भाषा अचपळी कूकर बोलां।
जूण अबोली सारी टोरां हां दादा।।
न्याव आडी भाषा ऊभी कूकर मांगां।
अन्याव आगै कद सैंजोरा हां दादा।।
मामा है जद कंस समूळा।
जवाब देंहटाएंकुण भरसी भात बता दादी।।
भींतां जब दुड़गी सगळी।
कठै टिकै छात बता दादी।।
कठै टिकै दादी कोनी बतावे इब भाई जी .....
कोई bhasha chhdunge की नहीं हूँ.....!!
बहुत सुंदर न्लगी आप की यह कविता, मुझे हरियाणवी आती है इस लिये इसे समझ गया. धन्यवाद
जवाब देंहटाएंमाँ बोली राजस्थानी ...पर पंजाबी इतनी वधिया .....इतनी तां मेरी वी नहीं .....पिंड होशियारपुर है जी .....
जवाब देंहटाएंबस जी इधर ही जम्मे पले हाँ असाम विच ही ......!!
ओम जी वास्तव में आपका गजब का लेखन कौशल है.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया है सा......
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