हिलमिल होळी खेली ऊंदरां दिखायो हेत ।
फ़ूल तोड़ ल्याया लाल-लाल जद गया खेत ।
रगड़ बणायो रंग
सागै घोटी भंग
मिनकी रै डर सूं पीग्या भांग रंग समेत ॥
[७७]
सिर हो मोटो पण पतळी ही कड़तू ।
ब्या होयो नीं अर कुंआरो रै’ग्यो पड़तू।
बुडापै में लाग्यो नाको
बोल्यो ऊंचो कर बाको
देखता रै’ईयो अब बांध देस्यूं भड़तू ॥
[७८]
नरेगा रै कारड़ में चिपकावणी ही फ़ोटू !
मोटी जोडा़यत साथै कोड में बैठ्यो कोटू ।
फ़ोटोग्राफ़र गिण्या तीन
कैमरै में आयो नीं सीन
बो बोल्यो बाबै नै भेज तूं उठज्या छोटू ॥
[७९]
रीसां में बोल्यो ऐक दिन खेमलो खिलाडी़ ।
दारू पीवण नीं देवै रांड आयगी अनाडी़ ।
गया नीं होटल
खोली नीं बोतल
इयां तो भूखा ई मरजासी बापडा़ कबाडी ॥
[८०]
ऊंदरै भेज्यो ऊंदरी नै ऐक दिन ई मेल ।
धरती माथै तो है कोनी थारै जिसी फ़िमेल ।
ऊंदरी बोली रुक
पै’ली देख फ़ेसबुक
बठै लाधसी लाडी म्हारै जिसी रेल री रेल ॥
[८१]
ऊंदरी बोली कार ल्याओ चढूं कोनीं बस में ।
जी घुटै म्हारो भीड़-भाड़ अर भारी रस में ।
ऊंदरो बोल्यो धिक्कै कोनीं
तूं म्हारै अब टिक्कै कोनीं
थारै जिसी तो होवणी चाईजै सरकस में ॥
[८२]
ऊंदरी ही पेट सूं डागधर जी करी सोनोग्राफ़ी ।
पेट में दिख्या बच्चिया अणगिणत अर काफ़ी ।
करो ना रीस
लेऊं नीं फ़ीस
म्हारै कोनीं इत्ता पालणियां म्हनै देवो माफ़ी ॥
[८३]
देखो जमानै में फ़ैसन बदळ्या है दस्तूर ।
ऊंदरी बोली ऊंदरै सूं आपणो काईं कसूर ।
देखो टींगर-टींगरी
फ़ैसन में फ़ींगरी
हाथै फ़ाड़-फ़ाड़ पै’रै आपरा पै’रण आळा पूर ॥
[८४]
ऊंदरो बोल्यो ऊंदरी सूं सुणै है काईं स्याणी ।
आज तो लड़ मरिया आपणां सेठ अर सेठाणी ॥
बात कोनीं छोटी
पकै कोनी रोटी
ऊंदरी बोली डरो ना होटल सू आसी रासण पाणी ॥
[८५]
ऊंदरी जाम्यो ऊंदरो ऐक सकल मिलै बिल्ली सूं ।
काईं बतावै दाई ऊंदरै रो फ़ोन आयो दिल्ली सूं ।
सतगुरू तेरी ओट है
ऊंदरी में तो खोट है
लाई ऊंदरो कींयां बचसी जग में उडती खिल्ली सूं ॥
[८६]
खेमलै रै जंचगी खेलण सारू होळी ।
दिनूगै उठतां ई खा ली भांग री गोळी ।
नसै में पडी़ नी ठा
लुगाई पै’रा दी ब्रा
फ़ेर घूम्यो सारै दिन पै’र परो चोळी ॥
[८७]
गैर रमण सारू निकळ्यो नंगियो नंग ।
गाबा खोल टाबरां करियो नंग धड़ंग ।
आई जणां लाज
धोरै चढ्यो भाज
फ़ेर बजायो बण आंख मींच’र चंग ॥
[८८]
ऐसकै भड़तू खेली होळी बडी़ तेज ।
कोड-कोड में बण रंग दियो अंगरेज ।
थे तो करियो तंग
म्हे गेरां खाली रंग
रंगीज जा नीं तो बणा लेस्यूं मिसेज ॥
[८९]
खड़कू खोडि़यै री भू भी खोड़ली ।
सुसरै नै रंगण लारै-लारै दौड़ली ।
बूढियै नै पटक
रंग दियो चटक
रीसां बळती सासूडी़ चूडी़ फ़ोडली ॥
[९०]
दारू रै नसै में भुणियों बेगो आयो घरां ।
बोल्यो- आज तो किणीं सूं ई नीं डरां ।
दीखी जद लुगाई
पाछी दौड़ लगाई
बोल्यो आज फ़ेर मरस्यां जियां रोज मरां ॥
[९१]
भांग रै नसै में हो भूंड मल भंडार ।
लुगाई घरां ल्याई पालणियों मंडा’र ।
म्हारै साथै खेलो होळी
बोल्यो,ना ऐ नार भोळी
थांनै रंगां तो कूटै बा म्हारली रंडार ॥
[९२]
ऊंदरां मिल विचारी होळी रमण री ।
मिनकी तकाई बां हलवाई झमण री ।
देखी बीं री आंख लाल
हाथ सूं छूटगी गुलाल
फ़ेर तो खबर ई आई ऊंदरा गमण री ॥
[९३]
होळी खेळण री ऊंदरां रै आई दिल में ।
खेलां तो खेलां मिल’र अबकै बिल में ।
ल्याया पिचकारी
मार’र टिचकारी
बोल्या-दारू भी तो ल्याओ महफ़िल में ॥
[९४]
गुड़गांवै री ऊंदरी अर ऊंदर हो दिल्ली रो ।
शेर नै मारता पण डर तो हो बिल्ली रो ।
ऊंदरी बोली होळी है
मिनकी पूरी धोळी है
रंगो तो ठाह लागै आज शेखेचिल्ली रो ॥
[९५]
आओ बेलियो छोडो सगळी राम्पारोळी ।
भेळा होय आपां सगळा मनावां होळी ।
कविडो़ तो नटग्यो
खड़्यै पगां अंटग्यो
Interesting !!!
जवाब देंहटाएंjiv soro hugyo
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