*** मुझे लड़ना है ***
अंधेरो से
लड़ना चाहता हूं
मगर दिखता नहीँ
कोई साफ साफ अक्स
इस कलमस मेँ
सब के सब
धुआंए हैं
स्याह धुएं मेँ ।
चौतरफ़ा यह धुआं
आया कहां से
नहीँ बताया
धुआंए चेहरोँ ने
और धुआंने को आतुर
दूसरे लोगोँ ने !
कुछ लोग
कुछ लोगोँ का
जला रहे हैँ दिल
सुलगा रहे हैँ ज़मीर
कुछ लोग
बस केवल
हवा दे रहे हैँ
या फिर झोँक रहे हैँ
अपना ईमान !
कुछ लोग
मुठ्ठियां भीँच रहे हैँ
दूर खड़े
दूर ही खड़े
कुछ और लोग
दांत पीस रहे हैँ
मुठ्ठियां भीँचने वालोँ पर !
कुछ लोगोँ ने
खोल दी हैँ मुठ्ठियां
और
सुस्त चाल चलते
कर रहे हैँ
उनका या समय का
मौन अनुकरण !
मुझे तो अभी लड़ना है
पहले खुद से
अंधेरोँ से
और फिर उनसे
जिनका आभामंडल है
यह स्याह अंधेरा !
.
अंधेरो से
लड़ना चाहता हूं
मगर दिखता नहीँ
कोई साफ साफ अक्स
इस कलमस मेँ
सब के सब
धुआंए हैं
स्याह धुएं मेँ ।
चौतरफ़ा यह धुआं
आया कहां से
नहीँ बताया
धुआंए चेहरोँ ने
और धुआंने को आतुर
दूसरे लोगोँ ने !
कुछ लोग
कुछ लोगोँ का
जला रहे हैँ दिल
सुलगा रहे हैँ ज़मीर
कुछ लोग
बस केवल
हवा दे रहे हैँ
या फिर झोँक रहे हैँ
अपना ईमान !
कुछ लोग
मुठ्ठियां भीँच रहे हैँ
दूर खड़े
दूर ही खड़े
कुछ और लोग
दांत पीस रहे हैँ
मुठ्ठियां भीँचने वालोँ पर !
कुछ लोगोँ ने
खोल दी हैँ मुठ्ठियां
और
सुस्त चाल चलते
कर रहे हैँ
उनका या समय का
मौन अनुकरण !
मुझे तो अभी लड़ना है
पहले खुद से
अंधेरोँ से
और फिर उनसे
जिनका आभामंडल है
यह स्याह अंधेरा !
.
मुझे तो अभी लड़ना है
जवाब देंहटाएंपहले खुद से
अंधेरोँ से
और फिर उनसे
जिनका आभामंडल है
यह स्याह अंधेरा !
बहुत खुब जी , धन्यवाद
मुझे तो अभी लड़ना है
जवाब देंहटाएंपहले खुद से
अंधेरोँ से
और फिर उनसे
जिनका आभामंडल है
यह स्याह अंधेरा !
बहुत खूब अच्छी संवेदनशील रचना.
achchi kavita aur sugthit bhaav.........badhai
जवाब देंहटाएंअन्तरंग द्वंद्व की बेहद ही सशक्त भावाभिव्यक्ति ! ओमजी की कविताएँ पढ़कर बहुत ही आनंद आता है और बेहद कुछ सीखने को भी मिलता है..! प्रणाम !
जवाब देंहटाएंअन्तरंग द्वंद्व की सुन्दर अभिव्यक्ति ...
जवाब देंहटाएं