रविवार, मई 20, 2012

एक हिन्दी कविता

याद करो बीज को
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आंख बंद कर लेने से
बदल नहीं जाएगा दृश्य
जो बन ही गया है
तुम्हारे चारों ओर
इस के लिए तो मित्र
रखनी ही पड़ेगी
आंख खुली हर पल !

प्यार या मित्रता
होती नहीं
मात्र उच्चारण से
इस के लिए
बहुत जरूरी है
विश्वास के साथ
परस्पर सक्रियता !

तुम्हारे आस पास
उगी है यदि खरपतवार
नफ़रता व शत्रुता की
इस के सकल दोष
मत ढ़ूंढ़ो जमीन में
याद करना होगा
उस बीज को
जो बोया है तुम ने
या फिर
समझने होंगे
रुख हवाओं !

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