रविवार, मई 20, 2012

एक हिन्दी कविता

.
बस इश्क करेंगे
==========

आओ
खाएं कसम
न जीएंगे
न मरेंगे
बस
होगा जितना
इश्क करेंगे !

पहला इश्क
धरती के नाम
जितना काटेंगे
उतना बोएंगे
जब भी कटेगा
कोई पेड़ हरा
खून के आंसू रोएंगे !

दूजा इश्क
मुल्क के नाम
शान न इसकी
जाने देंगे
पैसा इसका
ना खाने देंगे
रिश्वत को
अखाद्य बनाएंगे ।

तीजा इश्क
नत्थू के नाम
जितना लेंगे
उस से काम
उतना दाम धरेंगे !

चौथा इश्क
अजन्मों के नाम
उनको भी देंगे
आने का अधिकार
कन्या भ्रूण बचाएंगे
जो जाई बेटी
घर अपने
कांसा थाल बजाएंगे !

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें