रविवार, मई 20, 2012

एक हिन्दी कविता


♥ प्रीत पालता सांचा मोर ♥
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सावन आया
मेघा बरसे
छाई हरियाली
फूल खिले
छाई महक
उपवन सरसा
आई तितली
भंवरै बहक गए !

दूर थार में
थूहर फूटा
चर्चा आम हुई
लाली औढ़े
रोहिड़ा बोला
इधर भी आओ
देखो सांझ हुई
ओट नीम की
चकवा चहका
देखो चकवी
बारिश में
जगती भी
बदनाम हुई !

नत्थू के बाड़े
ओट बटोड़े
नाचा मोर
प्रीत पालता
सांचा मोर
सांझ ढली तो
कर गया शोर
पिया-पिया की
वाणी टोर !

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