मंगलवार, सितंबर 25, 2012

जलाना ही होगा अलाव


बर्फ जो जम गई है
तुम्हारे चारों ओर
उसे सिर से उतार
कदमों तले रोंद
दफना कर भूलना
नहीं है बचाव हरगिज !

बर्फ को स्मृतियों में रख
मुक्कमल नेस्तनाबूद की
रचनी ही होगी
कारगर व्यूह रचना
पग-पग सम्भल कर ।

मन-मस्तिष्क को

जमा-जमा कर
कुंद करने वाली बर्फ
कदमों तले दब
रोक देगी तुम्हारी गति
अपनी दुर्गति से
बचाव के लिए
अपने इर्द-गिर्द
जलाना ही होगा अलाव!

कल के लिए

अभी से सम्भलना होगा
रखनी भी होगी
बचा कर चिनगियां
ताकि वक्त जरूरत
जला सको अलाव !


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