मंगलवार, सितंबर 25, 2012

घर भी करता है याद


Photo: Om Purohit Kagad
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घर भी करता है याद
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घर से दूर होने पर
घर के लोग ही नहीं
घर भी करता है
हमारा इंतजार
भले ही है बेजान
घर की हर चीज
करती है याद
हमारी छुअन !

बहुत दिन बाद
हम जब आते हैं
अपने घर
घर की दहलीज
दरवाजा और खिड़ियां
लगते हैं मुस्कुराते हुए
मानो कर रहे हैं
खुल कर
हमारा स्वागत !

आंगन में बैठ
चाय पीते हुए
हर चुस्की में
टपकती सी लगती है
प्याले की खुशी
भोजन की थाली में
माँ के हाथ पकी
सब्जी और रोटियां
हमारे आगमन पर
झूमती सी दिखती हैं ।

गहन रात्रि में
जब हम जाते हैं
सोने के लिए
कितना खिलखिलाती हुई
हमें सुलाती सी लगती है
हमारे घर की खाट
छत तो जैसे
अपलक
निहारती ही रहती है
रात भर हमें !

घर से दूर होने पर
घर के लोग ही नहीं
घर भी करता है
हमारा इंतजार
भले ही है बेजान
घर की हर चीज
करती है याद
हमारी छुअन !

बहुत दिन बाद
हम जब आते हैं
अपने घर
घर की दहलीज
दरवाजा और खिड़ियां
लगते हैं मुस्कुराते हुए
मानो कर रहे हैं
खुल कर
हमारा स्वागत !

आंगन में बैठ
चाय पीते हुए
हर चुस्की में
टपकती सी लगती है
प्याले की खुशी
भोजन की थाली में
माँ के हाथ पकी
सब्जी और रोटियां
हमारे आगमन पर
झूमती सी दिखती हैं ।

गहन रात्रि में
जब हम जाते हैं
सोने के लिए
कितना खिलखिलाती हुई
हमें सुलाती सी लगती है
हमारे घर की खाट
छत तो जैसे
अपलक
निहारती ही रहती है
रात भर हमें !

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