मंगलवार, सितंबर 25, 2012

थूक मंथन


समुद्र मंथन कर
निकाल लिए थे
देवताओं ने रत्न
विष और अमृत
कर लिया था
मृत्युलोक को खुशहाल
फिलहाल

हमारे नेताओं ने
उसी तर्ज पर
किया है शुरु
थूक मंथन !

इस थूक मंथन में
पैंसठ सालों के दौरान
यत्न से भी
नहीं निकला
अब तक कोई रत्न
अमृत के आसार
देते नहीं दिखाई
यत्र-तत्र विष की
बह गई नदियां।

अनेकानेक राहू
बैठे हैं आंख गढ़ाए
अमृत के लिए
घात लगाए
विषपान के लिए
एक भी नहीं है शिव !

चलो !
हम ढ़ूंढ़ कर लाएं
कोई शिव
जो पी सके इस बार
थूक मंथन में निकलता
अविरल गरल
जो हो जाए नीलकंठ
या फिर
हम ही हो जाएं शिव !

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