'कागद’ हो तो हर कोई बांचे….
मंगलवार, सितंबर 25, 2012
नेताजी की चिंता
नेताजी को आजकल
ये चिंता सताती है ;
हम जब
जनता के बारे में
कुछ नहीं सोचते
तो यह जनता
हमारे बारे में
क्यों सोचती है !
जनता क्या खाती है
क्या पहनती है
कहां सोती है
हम ने उस से
कभी नहीं पूछा
तो फिर यह जनता
हमारे कुछ खाते ही
सड़कों पर क्यों
उतर जाती है ?
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें